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सामाजिक मंच पर सियासी टकराव, पटना में सम्राट चौधरी और राजद प्रवक्ता आमने-सामने

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पटना।राजधानी में आयोजित एक सामाजिक कार्यक्रम अचानक राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया। कुशवाहा कल्याण परिषद, बिहार की ओर से आयोजित 52वें पारिवारिक मिलन समारोह सह वनभोज में जहां समाज के निर्वाचित प्रतिनिधियों के सम्मान का उद्देश्य था, वहीं मंच से दिए गए बयानों ने माहौल को पूरी तरह सियासी बना दिया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने मंच से स्पष्ट किया कि यह आयोजन किसी दल विशेष का नहीं, बल्कि समाज की एकजुटता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कुशवाहा समाज की संगठित ताकत ने ही उन्हें उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री तक पहुंचाया है। समाज को सत्ता से जोड़कर आगे बढ़ाने की बात कहते हुए उन्होंने संकेत दिया कि अब आधे-अधूरे राजनीतिक प्रयोगों का समय खत्म हो चुका है। किसानों और सब्जी उत्पादकों के हित में भंडारण और बाजार व्यवस्था मजबूत करने की योजनाओं का भी उन्होंने जिक्र किया।

लेकिन कार्यक्रम का रुख तब बदल गया जब राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर सुबोध मेहता मंच पर आए। उन्होंने अपने संबोधन में सीधे-सीधे सत्ताधारी दल की विचारधारा पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को सम्राट अशोक की नीति और विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए, न कि आरएसएस की सोच को आगे बढ़ाना चाहिए। उनके इस बयान के बाद मंच पर राजनीतिक तल्खी साफ महसूस की गई।

इस मौके पर पंचायती राज मंत्री दीपक प्रकाश, पटना साहिब विधायक रत्नेश कुमार, प्राणपुर विधायक निशा सिंह, हरलाखी विधायक सुधांशु शेखर, मीनापुर विधायक अजय कुशवाहा, टेकारी विधायक अजय कुमार दांगी और जगदीशपुर विधायक भगवान सिंह कुशवाहा समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

कुल मिलाकर, सामाजिक सौहार्द और एकता के नाम पर आयोजित यह कार्यक्रम सत्ता और विपक्ष के वैचारिक संघर्ष का प्रतीक बन गया, जिसने आने वाले समय की राजनीतिक दिशा की भी झलक दे दी।

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